कविता🙏🏼सूर्यदेव सादर नमन🙏🏼

    

🌟🌟कविता🌟🌟

🙏🏼सूर्यदेव सादर नमन🙏🏼


दिव्य ऊर्जा से संचित छठ,

आ गई पावन दिव्य पुनीत। 

त्याग समर्पण मर्यादा मय,

होवें घर घर मंगल गीत।।


होके मध्य भाग तक जलमय,

निष्ठा धर्म ध्यान तप तन्मय।

किरणों के रथ पर रवि आते,

अर्घ्य पुष्प फल हर्ष चढ़ाते।।


छठ मैया भैया रवि के संग,

आतीं दिव्य पुंज तेजोमय।

दें वरदान सुखद जीवन का,

कर जातीं सबको ज्योतिर्मय।।


छठ का व्रत है जग में अनुपम,

अस्त उदय रवि को पूँजें हम।

नहीं भूलते हम उनका ऋण,

जिनसे मिले हमें नवजीवन।।


उगते सूरज को भी वन्दन,

अस्ताचल गामी अभिनन्दन।

है संदेश छुपा इस व्रत में,

समता प्रेम सत्य का चंदन।।


है संदेश प्रकृति निष्ठा का,

इसमें छुपा समझ इंसान।

नदियों को जीवित रख लेना,

अनुपम उत्तम इसमें ज्ञान।।


जल बिन जीवन कैसे होगा,

और प्रकृति बिन सृष्टि सुजान।

वातावरण सदा रख पावन,

मानवहित में यह "मत" मान।।


है प्राचीन पुरातन पूजा,

सीता द्रोपति रखीं महान।

कर्ण वीर करते रवि वन्दन,

अंगराज का यश जग जान।।


माँ माटी और निज स्वजनों से,

मिलने का अद्वितीय त्यौहार।

सब कुछ पावन नहीं अपावन,

दिनकर वन्दन कोटिशः बार।।


सूर्य देव की जय जयकार

छठ मैया की जय जयकार

करते नमन कोटि हर बार

वन्दन अभिनन्दन जयकार


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

३०.१०.२०२२ ०८.१८ पूर्वाह्न (२२९)

🌟छठ पर्व पर विशेष🌟 











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