शेरो-शायरी ✍️ हौसला ✍️


❤️शेरो-शायरी❤️

✍️ हौसला ✍️


मुख़ालिफ़त सहने की,कला ग़र सीख जाओगे।

यक़ीनन फ़लक पर,सितारे से नज़र आओगे। 


उनको कहने दो,कहने की उनकी आदत है।

अगर इसमें उलझ गए,तो उलझते चले जाओगे।

✍️🌷✍️

हवा तो चलेगी,उसकी यही तो पुरानी आदत है।

रुकना नहीं है,जाँच ले जुनून,और ख़ुद की ताकत को।

✍️🌷✍️

खौफ़ में रहोगे,तो कश्तियाँ ही डुबो डालेंगीं।

समंदर अभी बाक़ी है,जमीं बाक़ी है आसमां बाक़ी है।


सुनो मेरे दोस्तो,हौसला रक्खो हौसलेदार बनो। 

अभी तो आगाज़ बाक़ी है,इम्तिहान बाक़ी है।

✍️🌷✍️

अगर मदद माँगोगे,तो ख़ाक ना हाथ आएगा।

ये ज़माना खुदगर्ज़ सा है,हालात पर मुस्कराएगा।


तेरे चेहरे पर जो शिकन है,उसे दूर कर दे।

अपने अंदर तलाश ख़ुद को,निखर आएगा।

✍️🌷✍️

तुम्हें अपनी ज़मीन,अपना आसमां बनाना है।

चलो चलें सँभल कर,मंज़िल को ढूंढ लाना है।


भरोसा रक्खो ख़ुद पर,और अपने ईमान पर।

मजाल किसकी है,जो ज़मीं हिला पाए।

✍️🌷✍️

मिलेगा सब यहाँ मेरे दोस्त,दौलत भी शौहरत भी।

हौसला गिर न जाए बिल्कुल,यक़ीनन फ़तह पाएगा।


परिंदों को हौसला दो,उड़ने दो खुले आसमान में।

देखने दो कौन बाज को,मात दे जीत आएगा।


परिंदों को ख़ुद को पंखों को,जुनून को परखना

चाहिए ज़रूर।

मज़ा तो तब है,जब आसमां गिड़गिड़ाएगा।

✍️🌷✍️

गिरने से चलने से,डर जाओगे तो खो जाओगे।

उठो बढ़ो लड़ो फिर,यक़ीनन फ़तह पाओगे।


तुम्हें अपनी हिम्मत,ताकत पर यकीं करना है।

अगर हौसले बग़ैर चलोगे,तो लड़खड़ाओगे।

✍️🌷✍️

नाप लेते हैं आसमां,जमीं समंदर वे ही परिंदे।

होता है जिन्हें ख़ुद के,पंखों पर पूरा यक़ीन।


जिन्होंने बुलंदी को छुआ,वे कोई और नहीं।

ज़िद जुनून हौसला जिंदा है,तो मंजिल दूर नहीं।

✍️🌷✍️


अपनी अपनी जिंदगी है,अपना अपना तरीका

अपना अपना ढंग।

कोई क़ामयाब हुआ,किसी का हुआ रंग बैरंग। 


डरोगे तो नावें ही डुबो देगीं,दरिया की लहरों में।

तुम्हे समंदर से भी लड़ना है,और ख़ुद पर भी

फ़तह पाना है।

✍️🌷✍️

सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

०२.११.२०२२ ०९.०९ पूर्वाह्न(२३०)

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