🙏🏼क़ामयाब !!🙏🏼
१-जब आप क़ामयाब होगें,
तब चहेते बेहिसाब होगें।
२-वक़्त जब ना सही होगा,
बदले बदले ज़नाब होंगे।
३-क़ामयाबी कैसे मिली कौन पूछे,
ठोकरें मिली या नहीं कौन पूछे।
४-चमत्कार को नमस्कार है ज़नाब,
जमींदोज नींव की ईंट को कौन पूछे।
५-चलते रहना जिंदा होने की निशानी है,
हर शख़्स की अपनी अपनी कहानी है।
६-किसी को मंजिल मिली तोहफ़े में,
किसी पर ठोकरों की पूरी मेहरबानी है।
७-दिखाई देते हैं जब गुनहगार क़ामयाब,
दौलत शौहरत पकड़ ताकत बेहिसाब।
८-रौंदते जाते हैं जो जिस्म मिट्टी की तरह,
क़ामयाब कहूँ ना कहूँ कहिए ज़नाब।
९-शरीफ़ हैं जो वे शराफ़त में मजा लेते हैं,
शातिर हैं जो वे खुराफत में मजा लेते हैं।
१०-कुछ कमज़ोर का साथ देकर मजा लेते है,
कुछ ठोकरें देकर खुलकर मजा लेते हैं।
११-शिक़वा शिक़ायत नहीं होना चाहिए,
हमें यूँ ही बेख़बर नहीं होना चाहिए।
१२-उंगलियां उठती है तो उठने दीजिए,
हमें यूँ हीं बेसबर नहीं होना चाहिए।
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
०३.११.२०२२ १२.०८अपराह्न(२३१)