🌷व्यंग्य🌷
भृष्टाचार की शिकायत !
ऑंखें किसे कैसे कब देखें, ये उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विषय हो सकता है,लेकिन अगर आँखे कभी कभी देखने लगे और कभी कभी जानबूझकर नहीं देखें या फिर सुप्तावस्था के साथ गलबहियां करने लगें ये भृम पैदा करने की स्थिति विदित होती है या फिर लगता है जैसे आँखें दृष्टिदोष को प्राप्त हो रही हैं। वाह! वाह! हमारी आँखें हमारी दृष्टी हमारा नजरिया ऑंखें कितनी पारदर्शी,कितनी दूरदर्शी, कितनी देहदर्शी,कितनी समदर्शी और कितनी मर्मस्पर्शी आदि आदि हो सकती हैं।
दरोगा सिंह सतर्कता अधिष्ठान में भृष्टाचार निरोधक दस्ता के प्रभारी अधिकारी थे, उनका कार्य भृष्ट तंत्र और भृष्टाचार पर नकेल कसना था या यूँ कहें नकेल कसवाना भी स्वयं पर या विभाग पर लेकिन ये अभी स्पष्ट न था! आँखें तो आँखें ठहरीं मचल ही जाती हैं, इनका स्वभाव ही ऐसा है। मिसेज तारान्या जोएक वैसे तो एक प्रतिष्ठित रिच वूमेन थी लेकिन लोग उनके रहन सहन चाल और हाल देखकर आँखों पर नियंत्रण नहीं कर पाते थे। उम्र का आँकलन करने में आँखे असहज सी दिग्भ्रमित सी हो जातीं, क्योंकिं उनकी जीवन शैली बड़ी ही लकझक वाली थी। उनका शौक किसी पूर्णअंग प्राप्त नवयौवना से कम नहीं प्रतीत होता था वे काले नीले पीले रंगों के साथ ज्यादा सहज प्रतीत होती, अर्थात जिस रंग के अंगवस्त्र उस रंग का मेकअप चश्मा आदि आदि उम्र पचास पचपन के फेर में चल रही थी लेकिन फिर भी वह नए फेर के फेर में प्रयत्नशील रहती।
मिसेज तारान्या जोएक एक बड़ा फाउंडेशन चलातीं साथ ही दबाइयों का व्यापार भी करतीं, कुल मिलाकर आय और रसूख भरपूर था। वे महिलाओं के सशक्तीकरण,उत्थान,रोजगार पर कार्य अपने फाउंडेशन के माध्यम से वातानुकूलित कक्ष में बेशकीमती साजसज्जा से पूर्ण कार्यालय से ही करतीं धूप से उन्हें ऐलर्जी थी, शायद ही कभी धूप में निकली हों, वे आकर्षक व्यक्तित्व की धनी महिला थीं।
चंदा उनके पास स्वयं चलकर आता, चंदा तो चंदा की श्वेत आभा के समीप सहजता से आकर्षित हो ही जाता है, इसलिए चंदा का चाँद उनके यहॉ पूनम की भाँति चमकता रहता, इसका श्रेय उनकी मधुर मीठी वाणी के साथ साथ कुछ लोग उनके विशेष सौंदर्य को भी देते। क्या मंत्री,क्या सांसद,क्या विधायक,क्या ब्यूरोक्रेट्स सबके सब उनका सामीप्य चाहते सामीप्य के कारण उन्हें चंदा भरपूर मिलता रहता खातों का मिलान साल में एक बार खानापूर्ति हेतु किया जाता,जब पकड़ अच्छी हो तो स्वभाविक है अकड़ का आगमन होना।
मिसेज तारान्या जोएक के ख़िलाफ़ एक शिकायती पत्र सतर्कता विभाग को प्राप्त हुआ प्रेषक का नाम अज्ञात था लेकिन उस पर अंकित था अगर दम हो तब ही पत्र खोलें अन्यथा वापिस कर दें जय ईमान,जय समझौता,जय भृष्टाचार और फिर अंगूठा का निशान…..दरोगा सिंह की नजर उपरोक्त सन्देश पर गयी उनकी आँखों की पुतलियां सिकुड़ी फिर एकटक होकर देखने लगीं,मस्तिष्क विचार करने लगा..दम हो….फिर…. आँखों ने इशारा किया खोल दीजिए देखते हैं….
पत्र बड़े ही भावनात्मक ढंग से लिखा गया था शिकायतकर्ता कोई पूर्व कर अधिकारी महिला थी उन्होंने अपना नाम अज्ञात रखते हुए लिखा कि मिसेज जोएक के खातों की जाँच सम्बंधित विभागों के साथ मिलके करवा सकते हो,अगर हाँ तो सामर्थ्य है अन्यथा नौकरी सिर्फ नौकरी ही रह जाएगी, दरोगा सिंह ने पत्र का संज्ञान लेते हुए मिसेज जोएक को फोन करने हेतु अधीनस्थ को आदेशित किया,फोन उधर से संजना सेठ ने रिसीव किया और बोलीं अभी बात नही हो पाएगी मिसेज जोएक मंत्रीजी के साथ विशेष वार्ता में व्यस्त हैं, इतना कह कर फोन काट दिया गया। फोन जब भी किया जाता कभी कोई न कोई जनप्रतिनिधि,ब्यूरोक्रेट्स वहाँ उपस्थित मिल जाता अब दरोगा सिंह पर रहा नही गया उन्होंने अपने अधीनस्थों को आदेशित करते हुए कहा चलिए आज मिसेज तारान्या जोएक जी के प्रतिष्ठान चलते हैं, पत्र प्रेषक ने हमारी सामर्थ्य और दम को चैलेंज किया है देखते हैं क्या माज़रा है।
दल बल के साथ दरोगा सिंह मिसेज तारान्या जोएक के दफ्तर पहुँचें,दरबान से अंदर सूचित करने हेतु निर्देश दिया, दरबान ने सूचना का आदान प्रदान करते हुए कहा जाइये मिल लीजिए जैसे ही दरोगा सिंह कार्यालय में प्रविष्ट हुए देखते ही ठिठक गए, उनकी आँखें सिकुड़ती चली गईं उनके शब्द कहीं लुप्त होने लगे उन्हें लगा पत्र प्रेषक ने सही लिखा था दम हो….मिसेज जोएक के यहॉ सतर्कता विभाग के वरिष्ठतम अधिकारी, वरिष्ठतम पुलिस अधिकारी एव गणमान्य सर्वमान्य जननेता स्वयं आतिथ्य ग्रहण कर रहे थे।
दरोगा सिंह के हाथ में कागज देखकर बड़े साहब बोले क्यों आये हो दरोगा सिंह, और ये क्या कागज हाथ लगा है,सर मिसेज जोएक के खिलाफ सियासतदानों, अधिकारियों आदि के साथ मिलकर काले धन को सफेद करने का भृष्टाचार से सम्बंधित शिकायत पत्र है मेरे हाथ, इसमें शहर के बड़े बड़े लोगों के नाम हैं जो इस चंदा के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं किस किसका नाम है क्या मेरा भी है नाम दरोगा सिंह,वे चुप रह गए उनकी चुप्पी ही उत्तर था। ये सुनते ही मिसेज जोएक बोलीं तो क्यों रुक गए श्रीमान कार्यवाही करिए जेल भेजिए दम दिखाइए लेकिन ये पत्र ऊपर जाने के बाद ही सर्वे इंवेस्टिगेशन रेड आदि आदि हो पाएगी। लेकिन गर्दनें बहुत सारी इसकी गिरफ्त में आना तय हैं फिर तेज आवाज़ से बोलीं अरे! परेशान मत होइए पहली बार कोई जांबाज़ सरकारी नौकर मेरे द्वार आया जाँच हेतु वैसे तो आना जाना रोज की बात है। अरे! सुनो दरोगा सिंह जी यहीं तो हैं आपके सभी वरिष्ठ आदेश करा लीजिए,दरोगा सिंह समझ रहे थे मिसेज जोएक अपनी दम दिखा रही हैं,दरोगा सिंह ने लौटना ही उचित समझा,वे सोचने लगे अगर इसी तरह सांठगांठ का खेल खेलना था तो विभाग क्यों? किसलिए? या फिर केवल कमजोर तबके के लिए? कार्यवाही करने हेतु स्वतन्त्र, सवाल अनेकों मुँह वाये खड़े दिखने लगे…
आँखों ने आँखों से इशारे किया और विदा हो गए दरोगा सिंह, मिसेज जोएक ने अपनी आँखों से काला विदेशी चश्मा उतारकर आंखों का मर्मस्पर्शी सन्देश ब्यूरोक्रेट्स एव उपस्थित मेहमानों की तरफ किया सभी गदगद हो गए, सभी ठहाके मार कर हँसते हुए पूर्ववत व्हिस्की का आनन्द लेने लगे।
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
१०.१२.२०२२ १२.२८ अपराह्न(२४६)