Press and Registration of books(PRB) act 1867
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औपनिवेशिक काल लगभग १५५ बर्ष पूर्व प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट 1867(पीआरबी) कानून बनाया गया, इसके मूल में तात्कालिक परिस्थितियों ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध उठ रही आवाजों को ध्यान में रखते हुए अंग्रेज हुक्मरानों ने कानून बनाया ताकि अखबारों समाचार पत्रों पर अपना नियंत्रण,नियमन रखा जा सके।
आइए जानते हैं भारत में पहला समाचार पत्र, अखबार कब छपा प्रकाशित हुआ एव किसने छापा, बताते चले भारत में पहला भारतीय समाचारपत्र ब्रिटिश काल के दौरान एक अंग्रेज व्यक्ति ने ही छापा था,भारत में सर्वप्रथम अखबार निकालने का श्रेय हिक्की को जाता है इसकी भाषा अंग्रेजी थी एव उन्होंने अपने अखबार में उस दौरान की अनियमितताओं भृष्टाचार रिश्वतखोरी को प्रमुखता से जगह दी थी वे ईस्ट इंडिया कम्पनी के कर्मचारी भी थे।
इनका पूरा नाम था जेम्स ऑगस्ट हिक्की इन्होंने अपने अखबार का नाम दिया बंगाल गैजेट इसकी भाषा अंग्रेजी प्रकाशन वर्ष सन 1780 प्रकाशन स्थल कलकत्ता यह एक साप्ताहिक समाचार पत्र था। इसके माध्यम से उन्होनें तत्कालिक वायसराय द्वारा सुप्रीम कोर्ट के जज को रिश्वत देने का मामला प्रमुखता से छापा था, अंग्रेजी हूकूमत के दौरान वायसराय का पद अत्यधिक शक्तिशाली होता था ये ज्ञात होने के बाद भी उन्होंने रिश्वत प्रकरण को अपने अखबार बंगाल गैजेट में प्रमुखता से प्रकाशित किया। इस खबर को पढ़कर वे हिक्की के खिलाफ हो गए,तथा उन्हें गलत खबर छापने के जुर्म में जेल भेज दिया गया वे लगभग नौ माह तक कारावास में रहे,लेकिन हिक्की अपने अखबार का प्रकाशन जेल से करते रहे, और तत्कालीन समस्याओं को निरन्तर लिखते रहे वे रुके नहीं। बाद में जाँच बैठी जिसमें तात्कालीन वायसराय और जज दोषी पाए गए,इस प्रकरण के बाद अखबार की ताकत को लोगों ने समझा और फिर भारत में अखबारों का प्रकाशन प्रारम्भ होने लगा।
बताते चले भारत में सर्वप्रथम किसी भारतीय भाषा में छपने वाले अखवार का श्रेय "दिग्दर्शक"मासिक समाचार पत्र को जाता है,लेकिन निर्विवाद रूप से प्रथम भारतीय भाषी अखवार का श्रेय "संवाद कौमुदी" साप्ताहिक समाचार पत्र को जाता है इसका प्रकाशन सन 1821 में हुआ इसकी भाषा बंगाली एव प्रकाशन स्थल कलकत्ता था। इसके प्रबंध सम्पादक सुविख्यात समाजसुधारक समाजसेवी राजा राममोहन राय जी थे। हिंदी भाषा में छपने वाला पहला स्वदेशी समाचार पत्र "उदण्ड मार्तंड" का प्रकाशन सन 1826 में हुआ।
अखबारों के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजों ने पीआरबी एक्ट 1867 बनाया जो आज भी लागू है।
उनका उद्देश्य अखबारों के माध्यम से जो खबरें प्रकाशित होती थी उन पर नियंत्रण,नियमन रखना था उन्हें ये विदित था कि अखबार अगर क्रांतिकारियों का साथ दे गए तो परिस्थितियां बेकाबू हो सकती हैं, इसको ध्यान में रखते हुए पीआरबी एक्ट बनाया गया। अंग्रेज अखबारों के प्रति अधिक सजग एव जागरूक थे वह इसकी शक्ति,प्रभाव को भलीभांति जानते थे ।
उन्होंने निर्देश जारी किए कि जब भी कोई समाचार पत्र/पत्रिका का पंजीयन कराया जाएगा,तब उसे इसकी सूचना प्रेसिडेंसी को देनी होगी (प्रेसिडेंसी अर्थात आधुनकि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) आज भी अगर आप समाचार पत्र/पत्रिका का पंजीयन कराना चाहेगें तब भी आपको इसकी सूचना जानकारी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को देनी होती है, डीएम के पास ये शक्ति आज भी पूर्ववत है। वह अखबार खोलने वाले व्यक्ति की जांच पड़ताल करने हेतु अधिकार प्राप्त अधिकारी हैं,लेकिन डीएम को ये अधिकार नहीं है कि वे अखबार के पंजीयन एवं खोलने से मना कर दें,बेशक उन्हें किसी प्रकार के दुरुपयोग की आशंका ही क्यों न हो लेकिन फिर भी वह अखबार खोलने हेतु मना नहीं कर सकते,अगर वह मना करते हैं तो उनकी भी शिकायत की जा सकती है।
मुख्य विंदु
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1:-समाचार पत्र/पत्रिका के पंजीकरण के बाद आप स्वामी के रूप में स्थापित हो जाते हैं, अगर आप चाहे तो आप स्वयं सम्पादक का पदभार रख सकते हैं और अख़बार के स्वामी प्रकाशक भी हो सकते हैं अगर स्वामी ही सम्पादक हैं तब ऐसी दशा में आप स्वयं प्रेस आई कार्ड हस्ताक्षर सहित निर्गत कर सकते हैं अन्यथा की स्थिति में ये दायित्व सम्पादक के पास सुरक्षित रखा गया है।
2:-समाचार पत्र/पत्रिका के मुद्रण हेतु सम्बंधित जिलाधिकारी (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट)की अनुमति अनिवार्य रखी गयी है।
3:-समाचार पत्र/पत्रिकाएं मूलतः चार प्रकार के होते हैं 1-दैनिक 2-साप्ताहिक 3-पाक्षिक 4-मासिक
कोई कोई अर्धवार्षिक एव वार्षिक भी प्रकाशित होते हैं।
4:-स्पष्ठ निर्देश हैं कि प्रत्येक अंक में मुद्रक,प्रकाशक, सम्पादक एवं मुद्रण स्थल,का उल्लेख होना अति आवश्यक है।
5:-अगर किन्हीं कारणों से पत्र/पत्रिका में कोई संसोधन होना हो जैसे कि नाम,पता,भाषा,अवधि,सम्पादक,प्रकाशक आदि के नाम में संसोधन परिवर्तन तब इस स्थिति में इसकी जानकारी सम्बंधित अधिकारी को देना आवश्यक है।
6:-अगर किसी कारणवश कोई अखबार का मालिक एक वर्ष या दिए गए समयावधि में प्रकाशन (मुद्रण) कराने में असमर्थ होता है या मुद्रण नहीं करा पाता है इस स्थिति में पंजीयन निरस्त किया जा सकता है अथवा किया जाएगा।
7:-समाचार पत्र/पत्रिकाओं की प्रकाशित एक प्रति (RNI) Office of the registrar of newspapers for india (भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक का कार्यालय) को सम्पूर्ण वर्ष का सम्पूर्ण विवरण सहित देना आवश्यक रखा गया है ।
बताते चलें पीआरबी अधिनियम के अंतर्गत ही सम्पूर्ण देश में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र/पत्रिकाओं पर नियमन एव नियंत्रण होता है।
शिव शंकर झा "शिव"
कवि एवं स्वतन्त्र लेखक
समाचार सम्पादक
बदलता प्रदेश मासिक पत्रिका
१३.०१.२०२३ ११.४५ पूर्वाह्न (२५८)
(लेख विभिन्न स्रोतों पर आधारित)