"अशआर "
✍🏻सादगी से चलना✍🏻
गिरना उठना फिर फिर,सँभल के चलना
सफ़र है जिंदगी तुम,बस सादगी से चलना
अपनी कहानी और,ज़िंदगानी की रवानी
दर्द के बाद भी ऐ दिल,मुस्करा के चलना
मिल जाएगी मंज़िल भी,और शौहरत भी
इल्म रहे तुम बस क़दम,हौसले से चलना
अलग दौर है और नकाबों में समाए लोग
नज़र रखना ऐ दिल,ख़ुद को बचाके चलना
जिनका मकसद हो,तुम्हें बर्बाद करने का
उनसे दूरियाँ दूरियाँ,दूरियाँ बना के चलना
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हवा ख़िलाफ़ हो,क़दम बढ़ाना जरूर
चिराग आँधियों के बीच,जलाना जरूर
हमें मालूम होनी चाहिए,खूबियाँ अपनी
कुरेदना परखना जाँचना,आजमाना जरूर
सदाक़त वफ़ा,रहमदिली इंसानियत रहे
आदमी रहना,आदमी नजर आना जरूर
लगाकर गले कुछ,खंजर का नाप भी लेंगे
हरक़त पर नज़र रखना,मुस्कराना जरूर
दोस्त "दोस्त"है भी या,धुँआ धुँआ कुहासा है
कभी यूँ ही एक बार,गौर फरमाना जरूर
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सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
०६.०१.२०२३ १२.४० पूर्वाह्न(२५६)