कविता🙏🏼दिनकर से कुछ ज्ञान सीख लो🙏🏼

 

कविता

दिनकर से

कुछ ज्ञान सीख लो

✍️🙏🏼✍️

जीवन का विज्ञान सीख लो,

दिनकर से कुछ ज्ञान सीख लो।।

उदय भाग्य पर मत इठलाओ,

अस्त भाग्य पर दुख न जताओ।।


ना हो कष्ट विफल होने का,

ना अभिमान सफल होने का।।

सम रहने का ज्ञान सूर्य से सीखो,

चले चलो निर्लिप्त भानु से सीखो।।


दिनकर कहता चलो सतत गति,

उदय अस्त सम मान धीर मति।।

उठना गिरना मात्र एक प्रक्रिया,

जीवन के पथ की नव नूतन क्रिया।।


उगते सूरज का वंदन होता है,

अस्ताचल का ध्यान किसे होता है।।

यही सतत गति है मानव जीवन की,

उठा पटक से दूर चला चल मन की।।


ना पाने का गर्व करो तुम जग में,

ना खोने का दर्द रहे कुछ मग में।।

उन्नति अवनति सकल कर्म के लेखे,

उदय अस्त से मोह त्याग चल देके।।


उदय हुआ जो अस्त एक दिन होगा,

घोर रात्रि के बाद भोर फिर होगा।।

फिर दिन का ढ़लना होगा तय,

आएगी फिर रात जान लो निश्चय।।


यही महान ज्ञान देता है दिनकर,

समझो सोचो मनुज धैर्य को धर कर।।

विरत न होना कर्म मार्ग से मानव,

पा जाओगे विजय चला चल मानव।।


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतन्त्र लेखक

व्यंग्यकार

शायर

११.०२.२०२३ १२.०५ अपराह्न(२७०)





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