🌷कविता🌷
तोता बंद मान लो !!
दल बदल गंगा नहा,
दाग़ धो और मुस्करा !!
उधर छोड़ इधर आ,
जाँच आँच मुक्ति पा !!
दुग्ध सम धुले धुले"
कमल से खिले खिले !!
तुम बनो महान फिर,
पाओ उच्च मान फिर !!
तुम रहे उधर अगर,
फिर न खैर की बसर !!
यहाँ पै सब पवित्र हैं,
अपने प्यारे मित्र हैं !!
उधर लूट झूठ भृष्ट,
इधर दिव्य श्रेष्ट शिष्ट !!
राष्ट्र भक्त सब यहाँ,
उधर शेष अब कहाँ !!
रोजगार सब इधर,
आओ पाओ मित्रवर !!
बोलना गुनाह है पर,
चुप्प चल फिर न डर !!
जाँच फाँच कुछ नहीं,
दाग़ फाग फिर नहीं !!
तुम बनो महान फिर,
जी लो शान से इधर !!
तोता बंद मान लो,
बात सत्य जान लो !!
जाँच फाँच आँच क्यों,
अपने घर में जाँच क्यों !!
तुम सभी महान हो,
दिव्यता की खान हो !!
किंतु आओ साथ में,
मेरी वाली पाँत में !!
शर्त एक है मगर,
टिक न जाना बात पर !!
झूठ झूठ "बोल" बोल,
उनकी पोल खोल खोल !!
शिव शंकर झा "शिव"
जनकवि
स्वतन्त्र लेखक
०२.०३.२०२३ ०८.०९ पूर्वाह्न(२७७)