🌷अशआर🌷
नक़ाबों से इश्क़ !
बदलते लोग हैं,और बदले से मिजाज़
हम बदलते जा रहे हैं,मौसमी अंदाज़ में
नक़ाबों से इश्क़,झूठ धोखा दिल फ़रेबी
रस्म सी इक चल पड़ी है,ये भरे बाजार में
सामने यूँ लफ़्ज़ मीठे,और ये नजदीकियां
पीठ पीछे बदल जाते,गिरगिटी अंदाज़ में
बात झूठी दिल फ़रेबी,आदतन मजबूर भी
मगर होते जा रहे हो,आज कल मशहूर भी
तुम्हारे लफ्ज़ बेशक हों सही,पर ध्यान रखना
बदलता दौर है ये,सच नहीं सुन पाएगा
लोग रखते हैं नकाबों में,छुपे चेहरे बखूब
है ग़जब की ख़ासियत,आज के इस दौर की
झूठ बोला जा रहा है,बस नए अंदाज़ में
हवा की दम घुट रही है,झूठ के बाजार में
समाजसेवा में लगे,कुछ लोग काले हो रहे
है दिखावा संग छलावा,नित नए अंदाज़ में
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
२०.०३.२०२३ १२.२८अपराह्न(२८४)