मैं पैसा हूँ !!
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मैं पैसा हूँ !
जी हाँ मैं पैसा हूँ !!
महा पूज्य सबको स्वीकार,
मैं ताकतवर मैं साकार !!
अरे! सुनिए मैं बहुत कुछ हूँ ?
परन्तु अभी भी सब कुछ नहीं !!
कुछ लोग मुझे पाकर गरीब होते हैं,
खो देते हैं उन्हें जो अपने करीब होते हैं।
मित्र मैं चिर-सुख नहीं दे सकता ?
मैं विलासितापूर्ण जीवन दे सकता हूँ।
नहीं दे सकता चिर-आनन्द तुम्हें?
मैं अट्टालिकाएं वैभव तो दे सकता हूँ।
नहीं दे सकता सरल ह्रदय और नींद?
मैं अशक्त हो जाता हूँ तब,
जब मैं श्वासों को नहीं खरीद पाता।
मेरा दंभ टूट जाता तब,
जब मैं सुख स्नेह नही खरीद पाता।
मैं अक्षम हो जाता हूँ तब,
जब मैं अपनों को नहीं बचा पाता।
मेरा कोई आपसे वादा भी नहीं,
कि मैं तुम्हें संतान से मान दिला पाऊँ।
ये भी वादा नहीं प्यारे मित्र सुनो,
उत्तम स्वास्थ्य आपको दिलवा पाऊँ।
मैं तो बस ढूढ़ता हूँ अपने दास।।
मैं दे सकता हूँ दिखावटी ह्रदय,
जो पसीजता नहीं द्रवित नहीं होता।
मैं नकली चेहरे खूब दे पाता हूँ,
लेकिन हर लेता हूँ भावनात्मक जुड़ाव।
रिश्तों से मीठापन निश्छलता सद्भाव !!
मैं सदैव चलता रहता हूँ अपने पथ पर,
वैश्यालयों देवालयों से होता हुआ रथ पर।
कसाईखानों से जुआखानों से होता हुआ !
मुझे देखते ही भूल जाते हैं अशुद्ध शुद्व?
कोई नही त्यागता मुझे कहके धन अशुद्ध।
मैं रुकता नहीं झुकता नहीं कभी,
झुकते हैं मेरे सम्मुख बड़े बड़े दिग्गज।
मैं खरीद लेता हूँ बहुतों को यूँ हीं,
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे पर चलता राज!
मैं पैसा हूँ मैं ताकतवर मैं ठहरा सरताज।
कुछ शेष आज भी हैं जग में,
जो झुकते नहीं तनिक मग में।
ईमान हिमालय सा जिनका,
मन उज्ज्वल दीप्त शिवालय सा।
उनको खरीदने का मन लेकर चलता हूँ,
हर बार पराजय मिलती है मैं झुकता हूँ।
लेकिन मैं फिर भी सर्वमान्य कल आज,
मेरे सम्मुख झुक जाते हैं ऊँचे ऊँचे ताज।
मजहब मेरा नहीं जाति भी नहीं साथियो,
ऊँच नीच भी नहीं पंथ भी नहीं साथियो।
मैं ऐसा हूँ मैं ऐसा हूँ मैं ऐसा हूँ…
मैं पैसा हूँ मैं पैसा हूँ मैं पैसा हूँ !!
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
३१.०३.२०२३ ०१.१५अपराह्न(२८८)