अशआर
तू इधर का है या उधर का है
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तू इधर का है या उधर का है
सच सच बता तू किधर का है
तेरी फ़ितरत समझ नहीं आती
आज इधर का है कल उधर का है
तू इधर भी रहा और उधर भी रहा
बड़ा होशियार है पाला बदल बदल के रहा
अपने हिसाब से आशियाने बदलता रहा
न दिल से इधर का रहा न उधर का रहा
बड़ा दमदार क़िरदार निभाते हैं कुछ लोग
बदल जाते हैं जल्द ही अपने हिसाब से
जमाने में वही जी पाता है ठीक से ऐ दिल
आज इसका कल और का होना सीख जाए
क़ाबिल आदमी वही होता है आज कल
जिधर भारी दिखे पलड़ा उधर ही गीत गाए
हर कोई इस खेल में माहिर नहीं होता
माहिर वही होता है जो शर्मिंदा नहीं होता
पाला बदलना आजकल हुनर हो चला है
शोहरतें मिलते ही दाग़ नजर नहीं आते
चेहरे बदलो क़िरदार बदलो कोई बात नहीं
मगर रिश्तों में इसे आजमाना ठीक नहीं
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
१२.०४.२०२३ ०२.४२ अपराह्न(२९२)