🌷कविता🌷
बोलिए सोच कर
सोच कर बोलिए बोलिए सोच कर,
संभल कर बोलिए तौल कर बोलिए।।
सार्थक बोलिए बोलिए सारथक,
बहुत कम बोलिए किंतु सम बोलिए।।
सोचिए सोचिए देर तक सोचिए,
शांत हो सोचिए सोचिए शांत हो।।
शब्दशः सोच कर बोलिए सोच कर,
फिर कहीं बोलिए बोलिए बोलिए।।
समझना सोचना सोचना धैर्य से,
सहजतम बोलिए बोलिए सहज हो।।
मधुरतम बोलिए बोलिए मधुर हो,
मान से बोलिए ध्यान से बोलिए।।
बोलना तौल कर शब्दसः तौल कर,
वर्ण आखर जिव्हा तौल कर तौल कर।।
शुद्ध परिशुद्ध मीठा सरल बोलिए,
तौलिए तौलिए फिर मनुज बोलिए।।
श्रेष्ठ श्रोता बनो ध्यान से सब सुनो,
फिर गुनो फिर गुनो फिर गुनो फिर गुनो।।
तब कहीं बोलना ठीक होगा सुनो,
निरथरक छोड़िए सार्थक बोलिए।।
बहुत कम बोलिए किंतु सम बोलिए…
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
२८.०६.२०२३ १०.५१पूर्वाह्न (३२१)