अशआर-फाइलें कितनी सही,कितनी गलत!


अशआर

फाइलें कितनी सही,कितनी

गलत!


रोज होती है,बँटाई घूस की

साहब के घर भी,मिठाई घूस की !


महकमा कहता,कमा ले

पेट से ज्यादा,पचा ले और खा ले


फाइलें कितनी सही,कितनी गलत

है वही गूँगी और बहरी सल्तनत !


फाइलों का खेल,सारा क्या कहें

आपको भी है पता,क्या क्या कहें


थाने चौकी और,दफ़्तर क्या करें

देकर पाए हैं "ये" कुर्सी क्या करें


लूटने वाले सड़क पर,बहुत कम

महकमों में,ये मिलेगें आज कल


कीमतों को यूँ,उछाला जा रहा है

आदमी कमजोर,मारा जा रहा है


दवाइयों के रैपर,और उस पर दाम

पाँच वाली तीस की,सो गए हुक्काम


ये सियासी लोग,ये जनता के नौकर

क्या ठसक से घूमते हैं,मस्त होकर


लूटने की जुगत भी,मिलके बनाते हैं

किंतु बगुला भगत से,ये नज़र आते हैं


बिकते हैं आज भी,तय भाव में अफ़सर

सियासतदान भी,कुछ और भी,अक़्सर


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतंत्र लेखक

०९.०७.२०२३ ११.२१ पूर्वाह्न (३२४)


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