अशआर
✍️आँखें✍️
आँखों को आ गयी,शायद ज़रा हया
बेशक़ गले लगा,पर आँख मत मिला
उसने ज़रा लजा के,आँखे यूँ फेर लीं
नज़रें न हम मिलाएंगे,मौसम है बेवफ़ा
नज़रे ज़रा मिली कि,सुर्ख लाल हो गईं
आँखे भी आजकल,आँखों से हैं ख़फ़ा
नज़रें नहीं मिलाना,नज़रों से संक्रमण
होकर गया है हाथ,मिलाने से संक्रमण
बचके ज़रा रहना,संभल के ज़रा रहना
बढ़ता ही जा रहा है,दिन रात संक्रमण
है संक्रमण का दौर,हर रोज़ संक्रमण
सियासत में संक्रमण,आदत में संक्रमण
पानी का सूखना,आँखों से सूखना
नज़रे हैं झुक गयीं,यह देख सूखना
होती है दोस्तो दोहरी नज़र तिरछी नज़र
चाहती नहीं इस वास्ते आँखे मिले नज़र
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
१०.०८.२०२३ ०८.२८पूर्वाह्न (३३२)