✍️कविता✍️
हमें गर्व है माँ माटी पर
हमें गर्व है माँ माटी पर,
हमें गर्व है परिपाटी पर।।
दिव्य ऊर्जा सिंचित माटी,
त्याग साधना पूरित माटी।।
देखो पूरब से पश्चिम तक,
देखो उत्तर से दक्षिण तक।
कणकण रगरग त्याग बोलता,
राष्ट्र प्रेम अनुराग बोलता।।
खड़ा हिमालय सुना रहा है,
रणधीरों की शौर्य कथाएं।।
जलनिधि सुना रहा है देखो,
त्याग तपस्या जय गाथाएं।।
देखो समझो सत्य सनातन,
जप तप ध्यान योग शालाएं।।
श्रम संयम और धैर्य सत्यता,
दान ज्ञान रणकुशल विधाएं।।
रुक जाते हैं देव यहाँ पर,
करने हेतु ललित लीलाएं।।
महाकाल महादेव यहाँ पर,
कैलाशी बन कर रह जाएं।।
महाभूमि तपभूमि ज्ञान निधि,
भूमण्डल का मान है।।
अखिल विश्व ब्रह्मांड शिरोमणि,
पावन हिंदुस्तान है।।
मेरा हिंदुस्तान है
पावन हिंदुस्तान है।।
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
१३.०८.२०२३ ११.११ अपराह्न (३३४)