गज़ल-उसको मिलेगा तोहफ़ा

 

।। गज़ल ।।

उसको मिलेगा तोहफ़ा


जीवन के रंग कितने कोई न जान पाया

जी चाहा तब हँसाया,जी चाहा तब रुलाया


है खेल जिंदगी इक,हम सब यहॉं जम्हूरे

मदारी के हाथ चाबुक,जिसने हमें नचाया


क़िरदार के लिए क़िरदार ही है सब कुछ

है वह मंझा जम्हूरा,जिसने सही निभाया


है मृत्यु क्या,है जन्म क्या,है चक्र वक्त का

जो इसको जान पाया उसने मज़ा उड़ाया


साँसे भी क्या ग़जब हैं,आयीं तो जग रहे हैं

ग़र साँस सैर कर गयीं,तब कौन जाग पाया


है चंद पल की मस्ती,है चंद पल की हस्ती

मदारी बड़ा चतुर है,क्या खूब बरगलाया


मिट्टी ज़रा टटोलो कुछ राख को टटोलो

शायद नज़र आ जाए जो अब तलक न आया


उसको मिलेगा तोहफ़ा,मदारी के हाथ तय है

जिसने बड़े शऊर से,क़िरदार को निभाया


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतंत्र लेखक

३०.०८.२०२३ ८.०८पूर्वाह्न(३४३)




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