।। कविता ।।
कविता क्या है ?
कविता क्या है और किसलिए है कविता,
जन जन की हुंकार इसलिए है कविता।।
लालच वश कविता करती गुनगान नहीं,
कविता का अब और करो अपमान नहीं।।
शासक का गुणगान नही करती कविता,
स्वयं का तेज बखान नहीं करती कविता।
कलम बेंचने वाले क्या कविता को जानें,
डर डर मग प्रस्थान नहीं करती कविता।।
दरबारी हो करके जो कविता गाते हैं,
पाते हैं कुछ दाम काम ज्यादा पाते हैं।
कवि होना कोई साधारण मान नहीं,
कविता का अब और करो अपमान नहीं।।
कविता सदा खड़ी दुर्बल के साथ रही,
आंख मिलाकर बात कही सच बात कही।
लोकतंत्र की सजग प्रहरी ठहरी कविता,
जनता की आवाज़ रही जन प्रहरी कविता।।
सदा रही प्रतिपक्ष निडर हो करके कविता,
अभय खोलती रही आंख राजा की कविता।
झुकी,डरी,सहमी देखी हो कविता,भान नहीं,
कविता का अब और करो अपमान नहीं।।
शासक से सत्ता से जब जब टकराई कविता,
बदले नाम निशान तनिक रिस खाई कविता।
चाटुकारिता ठकुरसुहाती कविता की पहचान नहीं,
कविता का अब और करो अपमान नहीं।।
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
०३.०९.२०२३ ११.१९पूर्वाह्न (३४४)