।। दोहे ।।
।। अनपढ़ को पंडित करै ।।
हिंदी को जाने बिना,क्या जानोगे वेद।
हिंदी प्रेम रसायनी,नहीं करै कछु भेद।।
हिंदी गले लगावती,हिंदी समता मूल।
हिंदी के सानिध्य से,मिटें हिये के शूल।।
हिंदी रसना रस भरे,बढ़े प्रेम अनुराग।
हिंदी के संपर्क से,जागे नित नित भाग।।
हिंदी भाषा के बिना,कैसा सुख सम्मान।
हिंदी ग्यान प्रदायिनी,बुद्ध शुद्ध विज्ञान।।
हिंदी के सम्मान में,शेष शेष बहु शेष।
निज भाषा उन्नति नहीं,यह संदेश विशेष।।
हिंदी हिंदुस्तान की,घर घर की आवाज़।
हिंदी भाषा में करें,सरकारी सब काज।।
भाषा सब ही श्रेष्ठ हैं,सबका अपना मान।
हिंदी हिंदुस्तान की,है अनुपम पहचान।।
अनपढ़ को पंडित करै,करै ज्ञान प्रदान।
हिंदी भाषा है सहज,हिंदी रस की खान।।
हिंदी भारत भूमि की,ह्रदय की आवाज।
हिंदी बिना अपूर्ण है,इंकलाब आगाज।।
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
१४.०९.२०२३ ०३.३०अपराह्न(३४८)