गज़ल-रूठा सा दिल मिला

 

।। गज़ल ।।

रूठा सा दिल मिला


हिंदू भी यहाँ मिला,मुसलमां भी यहाँ मिला

अफ़सोस ! बहोत खोजा,इंसा न यहाँ मिला


आपस में थे बटे हुए,ख़ुद के ख़िलाफ़ थे

हर ओर शोर मज़हबी,बदला जहाँ मिला


मंदिर में बैठा कोई,मस्जिद में बैठा कोई

ख़ुद अक़्स से ख़फ़ा,ख़ुद से खफ़ा मिला


टुकड़ों में यूँ बटे थे,कुछ थे नशे में खोए

टूटा सा दिल मिला,रूठा सा दिल मिला


खोजा बहोत खोजा,वह गुमशुदा रहा

इंसा न मिल सका,होता दफन मिला


इंसा न बन सका,दौलत ख़ुमार बन गयी

उसको भी बस वही,दो गज कफ़न मिला


था जातियों का खेल,था खेल मज़हबी

हर चाल शातिराना,नकली जहाँ मिला


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा "शिव"

स्वतंत्र लेखक

२०.१०.२०२३ ०८.०९पूर्वाह्न (३५७)





Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

buttons=(Accept !) days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !