कविता
।। सफलता ।।
मिट जाते हैं दोष सकल,
जब आप सफल हो जाते।
रूठे बैठे पुरजन परिजन,
स्वतः दूर से मिलने आते।
है वसुधा की श्रेष्ठ औषधी,
प्रियजन सुनो सफलता।
जग में विष समान होती है,
सुन नर बस असफलता।
करना तुम प्रयास निरंतर,
पा जाओ संसिद्धी।
देव नाग नर किन्नर मिलके,
गाएँ गान प्रसिद्धी।
ऐसा यत्न प्रयत्न करो नर,
जग में महक दमक जाओ।
गगन और वसुधा के उर में,
दिनकर भाँति चमक जाओ।
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
१४.११.२०२३ ०९.५१अपराह्न (३६६)