अशआर
सियासतदान हैं !!
इशारों पर भी इरादों पर भी नज़र रखना
सियासतदान हैं,वादों पर भी नज़र रखना
सामने कुछ और पीठ पीछे कुछ और
अरे वाह! यहाँ कुछ और,वहाँ कुछ और
चुनाव हो रहे हैं "होंगे" और भी होंगे
मगर ये ज़नाब क्या से क्या और होगें
बोतलों में बंद वोट और बे-चारा वोटर
यहाँ मिल जाएगा हर ओर हारा वोटर
तुम जिंदगी भर टाट बिछाए नारे लगाए
चुनाव लड़ने साहेब के दरबार से आए
क़माल ये है कि न तुम न हम कुछ बोले
ये भी नहीं कि हम इस लायक भी नहीं
हम मतदाता ज़मीन देखें ज़रा पैरों तले
चंद पल सिर पर बाकी फिर पैरों तले
हम बोलते भी नहीं हक माँगते भी नहीं
चंद टूक जूठन को जागीर समझ लेते हैं
हम अपाहिज़ दिन ब दिन हुए जाते हैं
और ये ज़नाब आसमान छुए जाते हैं
बड़ा आया छोटा आया और मोटा भी
कोई कर्ज पर दो लफ्ज़ तक नहीं बोला
कोई पैसे दिया कोई चंद किलो नाज दिया
देख लो किसने रोजगार भरा समाज दिया
गजब का भरोसा है अपनी करतूतों का
सांसदी अपनी और विधायकी भी अपनी
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
१८.११.२०२३ ०३.५९अपराह्न(३६७)