अशआर-नज़र आइए

 

अशआर

नज़र आइए

✍🏻०१✍🏻

डरते बहुत हैं देखिए डराने वाले

इंसान को इंसान से लड़ाने वाले


महफूज़ कैसे मान लें हम इस तरह

महफूज़ नहीं महफूज़ बताने वाले

✍🏻०२✍🏻

दौलत ज़रूरी है ज़रूर कमाइए

नज़र आना जरूरी है नज़र आइए


भूल जाते हैं हम क्या हैं क्या नहीं

बस राख और क्या ये समझ जाइए

✍🏻०३✍🏻

मिली कामयाबी और हम मुस्कराए

इधर से उधर से यूँ सब पास आए


धुल गए दाग़ सारे गिले भी मिटे सब

समय का“करिश्मा” करिश्मा दिखाए

✍🏻०४✍🏻

हवा और हवा के इशारों को समझो

उफनती नदी के किनारों को समझो


ख़बरदार रहिए असरदार रहिए

बदलती हवा की बहारों को समझो

✍🏻०५✍🏻

सितारे हमेशा फ़लक पर नहीं होते

अंधेरे में ख़ास दूर तलक नहीं होते


डरो मत रुको मत बस चलते चलो

दरिया के पास पाँव तलक नहीं होते

✍🏻०६✍🏻

जिंदगी काटने के लिए नहीं होती

रेवड़ी सी बाँटने के लिए भी नहीं होती


जिंदगी को जिंदगी बनाना जरूरी है

सुनो ये तलबे चाटने के लिए नहीं होती

✍🏻०७✍🏻

उसे मरघट पर देखा अकड़ ही नहीं

राख था उसकी कोई पकड़ ही नहीं


था कभी ज़ोर उसका बहुत खौफ़ था

आज उसकी कहीं कुछ पकड़ ही नहीं

✍🏻🌷🌷✍🏻

सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा “शिव” 

स्वतंत्र लेखक

१५.१२.२०२३ ०९.४५अपराह्न (३७६)


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