गज़ल
✍️🌷🌷✍️
बात समझ आ जाए
नफ़ा नुकसान भितरघात समझ आ जाए
समय पर समय से,ग़र बात समझ आ जाए
चमक सकते हो यक़ीनन सितारों की तरह
हवा का फ़र्क और दिन रात समझ आ जाए
बोलने से पहले अल्फ़ाज़ तुम्हारे हैं सच है
बाद की बात,मुलाकात समझ आ जाए
शिक़ायत भी नहीं करना अदावत भी नहीं
हवा के साथ ज़रा बिसात समझ आ जाए
वक़्त बड़ा बेरहम और रहमदिल होता है
अक्लमंद वे जिन्हें करामात समझ आ जाए
दिल की सदा और आंखों की उदासियाँ
आँसू इश्क़ वफ़ा जज़्बात समझ आ जाए
अगर उलझे रहे तो फिर सुलझ ना पाओगे
सुलझना कैसे है,शुरूआत समझ आ जाए
किसी के सहारे आसमान छूने की तरक़ीब
तरक़ीब नहीं ज़रा औक़ात समझ आ जाए
सुनो समझदार वही है होशियार भी वही
समय रहते समय का,हाथ समझ आ जाए
साथ किसका कब कितनी देर तक पाओगे
सभी मुसाफ़िर हैं सफ़र के,साथ समझ आ जाए
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
१७.१२.२०२३ ०७.५१पूर्वाह्न(३७७)