अशआर-मुस्कराया जाऐ

अशआर

मुस्कराया जाए


सफ़र में बोझ ज्यादा न उठाया जाए

सफ़र है ज़िंदगी चलो मुस्कराया जाए


मिलेंगे टूटे हुए दिल और छूटे हुए लोग

चलो इन्हें ही तरक़ीब से मिलाया जाए


मिरे दिल ज़िंदगी जीना कोई आसान नहीं

यहॉ कभी जमीं नहीं कभी आसमान नही


फिर भी कोशिशें बार बार हजार करो

उठो चलो कदम बढ़ाओ ऐतबार करो


जिंदादिल जिंदगी घुट घुट नहीं जीते

रोज रोज दर्द घुटन के घूँट नहीं पीते


घुट घुट के जीना भी क्या जीना हुआ

शेरदिल जीते हैं बुज़दिल नहीं जीते


मिरे दिल तुम उमीदें ज्यादा नहीं करना

ख्वामख्वाह वक़्त से पहले नहीं मरना


उम्मीदें ज्यादा तोड़ देती हैं पता तो है

उमीदों से दोस्ती इश्क़ ज्यादा नहीं करना


मिरे दिल कद से बड़ा कद न बढ़ाया जाए

ऊंट को पहाड़ के पास ज़रा लाया जाए


टूट जाएगा झटके में बड़े होने का गुमान

इंसान को और ऊंट को सबक़ पढ़ाया जाए


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा “शिव”

स्वतंत्र लेखक

३१.१२.२०२३ ०३.०९अपराह्न (३८०)


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