गज़ल //०१//
✍️चलते रहो✍️
डरो मत रुको मत,सफ़र जारी रखो
चलते रहो कोशिशें खूब सारी रखो
हवा मिज़ाज बदलेगी झुकेगी पूछेगी
शर्त ये है सफ़र पर नज़र से यारी रखो
ख़िलाफ़ कोई नहीं वफ़ादार कोई नहीं
हक़ीक़त समझो ज़रा समझदारी रखो
लड़खड़ाते कदमों से मत चलना सफ़र
कदम कदम पर कदम ज़रा भारी रखो
गज़ल //०२//
✍️स्कूल वाली बात✍️
स्कूल वाली बात मुलाकात याद आयी
हौले से पास आना हर बात याद आयी
लेकिन न समझ पाए आंखों का बोलना
जब बात समझ आयी अरसे के बाद आयी
अट्ठानवे का प्यार मासूम बहुत प्यार था
हम देख मुस्कराए थी वह भी मुस्करायी
पढ़ते रहे बढ़ते रहे कुछ बरस यूँ गुज़र गए
हम भी न बोल पाए वह भी न बोल पायी
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
०८.१२.२०२३ ०६.५८पूर्वाह्न (३७३)