अशआर
इंसान से रहें !!
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इंसान को,इंसान सिखाता है
इंसान ही इंसान को,इंसान बनाता है
चोटों का असर,होता है असरदार
इंसान ही इंसान को,शैतान बनाता है
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वे पूछते दिखे,क्या हाल हैं ज़नाब
हम बोलते रहे,खुशहाल हैं ज़नाब
टूटा हुआ सा दिल,पक्की खबर तो है
फिर भी कहे रहे,सब ठीक ठाक साब
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मौसम की तरह बदलते दिखे रिश्ते
यूँ हवा के साथ,दरकते दिखे रिश्ते
आओ संभाल लें,रिश्तों की डोर को
बिखरें नहीं “बने”,रब के दिए रिश्ते
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इन्हें भी और उन्हें भी खूब प्यार करो
ज़रा समझो परखो फिर ऐतबार करो
बदलता दौर है मौसम का मिज़ाज भी
हवा ख़िलाफ़ ही सही मगर प्यार करो
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डरना नहीं लड़ना नहीं,ये बात मान लो
मिलते रहो मिलते रहो,औकात जान लो
इंसांनियत का फ़र्ज़ है,इंसान से रहें
आँखे गवाह रहेगीं,सच बात मान लो
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पैर जमीं पै रहेंगे,तो याद जमीं आएगी
इंसान रहोगे नज़र,अपनी कमीं आएगी
चलो चलें गुरूर को दूर फेंक कर यूँ हीं
न तेरे कमीं आएगी न मेरे कमीं आएगी
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दिल अक़्सर यूँ हीं,दिल से बात करता है
टटोल टटोल नब्ज़,मुलाकात करता है
कभी बहुत खुश,कभी नाराज़ खुद से ही
मोहब्बत दिल बस दिल के साथ करता है
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छप्पर थे खूब अच्छे,कच्चे मकां थे अच्छे
दिल थे बखूब सच्चे,हम भी थे खूब सच्चे
जैसे ही हम हुए बड़े,और कुछ ऊंचे उठे
घर पक्के दिल पक्के,हम भी हुए पक्के
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सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
०९.१२.२०२३ ०८.२९पूर्वाह्न(३७४)