गज़ल-बच्चों से सीखिए

 

।। गज़ल ।।

बच्चों से सीखिए


प्यार वफ़ा मासूमियत बच्चों से सीखिए

आदमियत इंसांनियत बच्चों से सीखिए


रूठने के बाद फिर आकर गले लगना

ये कला ये ख़ासियत बच्चों से सीखिए


खूबसूरत फूल हैं उस रब के बाग के

महकना और चहकना बच्चों से सीखिए


बैर भी नहीं किसी से ग़ैर भी कोई नहीं

जिंदगी का फ़लसफ़ा बच्चों से सीखिए


मज़हबी बयार भी नहीं रार भी नहीं

इतनी सरल ज़िंदगी बच्चों से सीखिए


रूठ जाना फिर बस यूँ हीं मान भी जाना

गिले शिकवे भूल जाना बच्चों से सीखिए


खुश रहना खुश रहकर जिंदगी जीना

मुस्कराकर मस्त रहना बच्चों से सीखिए


उठना गिरना फिर गिरना फिर चलना

दरियादिली ज़िंदादिली बच्चों से सीखिए


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा “शिव”

स्वतंत्र लेखक

११.०१.२०२४ १०.०१अपराह्न(३८२)

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