✍️।। कविता ।।✍️
🙏🏼जय जानकी जय राम🙏🏼
यूँ ही गुज़र न जाए ये जिंदगी की शाम,
आओ चलो कहें जय जानकी जय राम।।
है सृष्टि सारी जिनकी है मेहरबानी जिनकी,
मर्यादा त्याग समता जय जानकी जय राम।।
सबको समान समझा सबको गले लगाया,
भय द्वेष को हराया जय जानकी जय राम।।
गए मित्रता सिखाकर गए मनुजता बता कर,
ऐसे हमारे जगपति जय जानकी जय राम।।
आवाम में न डर था ना जाति का जहर था,
ऐसा था राज हरि का जय जानकी जय राम।।
अल्पायु मृत्यु ना थी ना रोग शोक पीड़ा,
थे जीव सब सुखारी जय जानकी जय राम।।
अपने लिए कहाँ कब सिय रामजी जिए थे,
सबके लिए जिए थे जय जानकी जय राम।।
ना चाह राज की थी ना चाह मान पद की,
पावन परम पुनीता जय जानकी जय राम।।
जो भी शरण में आया उसको गले लगाया,
जीना हमें सिखाया जय जानकी जय राम।।
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
१८.०१.२०२४ ११.३९पूर्वाह्न (३८४)