व्यंग्य-गिरगिट बोला आइ



🌷🌷।। व्यंग्य ।।🌷🌷

✍️गिरगिट बोला आइ✍️


गिरगिट भी हैरान भा,देखके उनके काम।

पलटत पलटत पलट गए,फिर से पलटूराम।।


नेता बनना कठिन है,गिरगिट बोला आइ।

जा थाली में खात रह, करै छिद्र हरषाइ।।


पलटै देकर वचन जो,नेता वही महान।

दो दो तलवारें रखै,एक साथ इक म्यान।। 


जीभ सदा पलटत रहै,मूल मंत्र पहचान।

नेता जीव विशेष है,लूट झूठ छल खान।।


पलट जाय जो बात से,ना कतई सकुचाय।

देख लीजिएगा तनिक,वही नेता बन जाय।।


धोखा देकर भी तनिक,किंचित ना शर्माय।

पलटै दिन में दस दफे,वही नेता कछु पाय।।


दल बदलै बदलै जुबां,चुपड़ी चुपड़ी खाइ।

चुपड़ी चुपड़ी बात सूं,नेता सब कुछ पाइ।।


मौके पर चौका जड़ै,नेता वह गुणवान।

नेता के गुण क्या कहूँ,कब लौं करूँ बखान।।


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा “शिव”

स्वतंत्र लेखक

२९.०१.२०२४ ११.२१ अपराह्न (३८७)






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