अशआर
❤️ दिल से ❤️
उस्ताद भी मिले,बेहद कमाल भी मिले
शुक्रिया जी शुक्रिया,आपका जी शुक्रिया
एहसान बहुत हैं,आँधियों के मिरे ऊपर
खड़े रहने का हुनर,सब इन्हीं से आ गया
ग़र दिखा दे आईना,दोस्तो गुस्ताखियां
हम यक़ीनन आईने से,दुश्मनी कर जाएगें
राह में जो भी मिले,सबके सब वे ठीक थे
परख हमसे हो न पायी,ये कमीं अपनी रही
हम वह हवा हैं,बेख़ौफ़ राहों से गुजरते हैं
गले हम शूल के फूल के,खुलेआम लगते हैं
इश्क प्यार दोस्ती महफ़िलें नजदीकियां
हैं हवा का एक झोंका दौर शायद चल पड़ा
धोखा फ़रेब और जालसाज़ियों का खेल
हैं बहुत ये बेशकीमत,रास्ता दिखला गए
फैसला कर मिरे दिल,कदम दम अपने
कारवाँ बन जाएगा,हो अगर दम हौसला
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
२०.०३.२०२४ ०८.२८पूर्वाह्न (३९८)