गज़ल-हम क़िरदार हैं

 

।। गज़ल ।।

हम क़िरदार हैं


हदें रखना याद हम क़िरदार हैं

कभी कमज़ोर कभी दमदार हैं


ग़ुरूर मत करना कभी इतना

हम ही हम हैं शेष सब बेकार हैं


जिंदगी हिसाब लेती है यक़ीनन

कभी आसां कभी मुश्किलें हजार हैं


हवा का क्या इसका बदलना तय है

कंगाल कभी कभी दौलतें बेसुमार हैं


जिंदगी एक सी हर वक़्त नहीं रहती

कभी पतझड़ कभी जश्न कभी बहार हैं


जिन्हें होती हैं पता अपनी हदें यारो

दर्द खुशी जफ़ा वफ़ा सब एकसार हैं


हमें मालूम होनी चाहिए औकात अपनी

हम कुछ भी नहीं कहानी के किरदार हैं


सल्तनत बादशाहत ताकत सदा नहीं

वक़्त है शिकारी हम तो बस शिकार हैं


चलो चलें दिलों के पास हद में रह कर

कहानी है जिंदगी और हम क़िरदार हैं


दूर तक दूर तक निगाहें फैलाओ हम क्या हैं

पता चल जाएगा कुछ नहीं धुंआ हैं गुबार हैं


शिव शंकर झा “शिव”

स्वतंत्र लेखक

१९.०४.२०२४ ०४.२१पूर्वाह्न (४०३)



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