।। कविता ।।
टोपियां बदल बदल के…!!
टोपियां बदल बदल के,
आ रहे हैं लोग…!!
घुमड़ घुमड़ बादलों से,
छा रहे हैं लोग…!!
रैलियों में भीड़भाड़,
भीड़भाड़ धुँआधाड़।।
विरुदावली उच्च सुर,
सुना रहे हैं लोग।।
टोपियां बदल बदल के,
आ रहे हैं लोग…!!
भर के बस में टंपुओं में,
ला रहे है लोग।।
आलू पूड़ी साग पुआ,
खा रहे हैं लोग।।
नोट नोट नोट दाम,
पा रहे हैं लोग…!!
टोपियां बदल बदल के,
आ रहे हैं लोग…!!
रोजगार खोजने वे,
भागे भागे आ गए।।
चंद पूड़ी साग संग,
दाम नाम पा गए।।
नारे लगा लगा लगा,
हवा को बना गए।।
प्रश्न हैं खड़े अनेक,
कल थे उधर यही नेक।।
गुल नया खिलाएंगे फिर,
गीत गा रहे हैं लोग…!!
टोपियां बदल बदल के,
आ रहे हैं लोग…!!
रोजगार घर गया,
कमाल दद्दा कर गया।।
वोट माँगता फिरै,
कंडीडेट डर गया।।
मंहगाई आ गले लगी,
कर रही है दिल्लगी।।
कल्ल रैली एक फिर,
गुनगुना रहे हैं लोग…!!
टोपियां बदल बदल के,
आ रहे हैं लोग…!!
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
२६.०४.२०२४ ०४.१५ पूर्वाह्न(४०४)