कविता-है वोटर होशियार बहुत

 

।। कविता ।।

है वोटर होशियार बहुत


मतदाता दिलदार बहुत,

सीधा सच्चा यार बहुत।।

वादों में उलझाया जिसने…

करता उस पर वार बहुत,

है वोटर होशियार बहुत।।


सब सुन लेगा तेरे मन की,

करता है पर अपने मन की।।

शांत सरल व्यवहार बहुत,

है वोटर होशियार बहुत।।


है चुपचाप शांत मतदाता,

लोकतंत्र का भाग्यविधाता।।

संशय “पर” इस बार बहुत,

है वोटर होशियार बहुत।।


वादे वादे वादे सुन सुन, 

धर्म जाति के नारे सुन सुन।।

असमंजस की मार बहुत,

है वोटर होशियार बहुत।।


हल्के में मत लेना उसको,

है सुलझा किरदार बहुत।।

बदल रहा है मन मतदाता…

मन पर मन का भार बहुत,

है वोटर होशियार बहुत।।


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा “शिव”

स्वतंत्र लेखक

२८.०४.२०२४ ११.४०पूर्वाह्न(४०५)




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