अशआर
कोई तो था पास मिरे
✍️१✍️
कुछ टुकड़े जूठन चंद सिक्के उछाले गए
कमाल ये हुआ वे सब के सब उठा ले गए
✍️२✍️
हवा है हवा और हम भी तो बस हवा हैं
मगर नशा इतना कि हर मर्ज की दवा हैं
✍️३✍️
मिरा दिल जब जब तन्हा उदास हुआ
कोई जरूर था पास मिरे अहसास हुआ
✍️४✍️
मिरे दिल अब कुछ पहले सा नहीं दिखता
बड़ी कोशिश के बाद आदमी नहीं दिखता
✍️५✍️
आदमी बड़ा शातिर चालाक शिकारी है
शिकार ख़ुद और खुद करने की तयारी है
✍️६✍️
कोई हमारा भी यूँ हीं इंतज़ार करे
याद में दिल बार बार बेक़रार करे
✍️७✍️
प्यार करता रहा मगर छुपाता रहा
सिसकियां दबा दबा मुस्कराता रहा
✍️८✍️
दर्द दिल आंखों से समझ आता है
बिना बोले ही सब समझ आता है
✍️९✍️
जिंदगी को जिंदादिली से जिया करो
ज़हर भी मुस्करा कराके पिया करो
✍️१०✍️
रिश्तों की नब्ज़ अब ज़रा कमज़ोर है
ख़बर है आजकल दिखाबे पै ज़ोर है
✍️११✍️
आजकल खुद्दार बहुत कम मिलते हैं
जो मिलते हैं फिर वे भी नहीं मिलते हैं
✍️१२✍️
आदमी आदमी को चाव से खाता है
मगर फिर भी मुस्कराता नज़र आता है
✍️१३✍️
बहुत देर तक उन्हें सर पै न बिठाया जाए
चलो इक बार उनको जमीं पर लाया जाए
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
१६.०५.२०२४ ०८.०५ पूर्वाह्न (४०९)