✍️अशआर✍️
।। आपकी अच्छाइयां ।।
(१)
अज़ब है दुनियां यहाँ रहबर न मिलेंगे
ऊंचे मकाँ मिल जाएंगे घर न मिलेंगे
(२)
दरख़्त से सीखोगे तो जान पाओगे
लौटाना किसे कब है जान पाओगे
(३)
कोई बाँधता जाए अगर तारीफ़ के पुल
ज़रूरत है उस वक़्त हमें जगे रहने की
(४)
ज्यादा के फेर में कम को न छोड़ देना
यक़ीनन हवा बदले न बदले दिन बदलते हैं
(५)
तन्हा राह में चलते हैं तब समझ आता है
घर क्या होता है तब सब समझ आता है
(६)
भूख जब ख़ुद लगती है तब पता चलता है
दूसरे की भूख पीर का कब पता चलता है
(७)
रिश्ते बिखरते गए और हम भी मिरे दिल
या तो हम नहीं समझे या फिर वे नहीं समझे
(८)
मन मारता रहा उम्र भर औलाद के लिए
फ़क़त दो गज ज़मीं मिली साथ के लिए
(९)
मिरे दिल इक दिन ज़रूर मुक़ाम मिलता है
किसी को सुबह किसी को शाम मिलता है
(१०)
हारना मत हौसला वक़्त मुश्किल देखकर
ये फ़क़त कुछ वक़्त का है उम्र भर बिल्कुल नहीं
(११)
ख़ून होता है यक़ीकन ख़ास मिट्टी का बना
आँच ग़र अपनों पै आए खौलना इसकी अदा
(१२)
शिकायतें नाराजियां बेहिसाब थीं उनसे
दिल ने जब आवाज़ दी मिट गईं सब दूरियां
(१३)
दौलत दौलत का नशा और फिर तन्हाइयां
काम आएंगी यक़ीनन आपकी अच्छाइयां
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
०८.०५.२०२४ ०२.५१अपराह्न (४०७)