कविता-चलो चलें...

 

।। कविता ।।

चलो चलें…

चलो चलें चले चलें,

मिलाके हाथ साथ साथ।।

रुको नहीं झुको नहीं,

डरो नहीं दबो नहीं।।

लिखो नवीन शौर्यगाथ,

मिलाके हाथ साथ साथ।।

चलो चलें चले चलें…….


मिले जो हार भी कभी,

उसी पै हार वार दो।।

उदासियों के साथ से,

स्वयं आपने उबार दो।।

कदम बढ़ा उठा के माथ,

मिलाके हाथ साथ साथ।।

चलो चलें चले चलें…….


बयार तो बदलती है,

बयार को बदलना है।।

परन्तु हम सजग रहें,

हमें तो मार्ग चलना है।।


रुकावटें बताती हैं सिखाती हैं,

यही हमें बचाती हैं बनाती हैं।।

शोक भाव त्याग त्याग,

सजग सजग जाग जाग।।


बयार है परखती दम,

दम बचा है कितना दम।।

कदम कदम है ख़ास ख़ास,

विजय का हार पास पास।।


रुकावटों से सीख नर,

तू शक्ति भर चल निडर।।

बनाती ये विशेष ख़ास,

तू चल अभय न हो उदास।।

गुज़र यूँ जाएगी ये रात,

मिलाके हाथ साथ साथ।।

चलो चलें चले चलें…….


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा “शिव”

स्वतंत्र लेखक

०६.०६.२०२४ ११.१९ पूर्वाह्न (४११)



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