दोहे-शिव के दोहे

 

✍️✍️शिव के दोहे✍️✍️

(१)

आंखों में पानी नहीं,वानी कौ नहिं भान।

ऐसे ओछे नरन सूँ,दूर ही रहत सुजान।।

(२)

दो दो गले जो रखें नर,उनसे रहना दूर।

जिस हड़िया में चाटिहैं,करें उसे ही चूर।।

(३)

नहीं बात के जो धनी,उनपै अति संदेह।

महाविषैले नाग से,काटहिं लोटहिं गेह।।

(४)

सावधान रहना सदा,उनसूँ जो बदकार।

द्वारें पै नहिं आन दें,करें कड़क व्यौहार।।

(५)

बेईमान बेशर्म से,मत करना नर प्रीत।

निकट रहें तै हार है,दूर रहैं तब जीत।।

(६)

हल्के पेट के जीव सन,खोल न देना भेद।

मटियामेट कराहिहै,मत करना फिरि खेद।।

(७)

लौटें जे निज वचन सूँ,उन्हें नहीं नर मान। 

चक्षु हिये के खुलेंगे,तबही सकिहौ जान।।

(८)

ठोकर गुरू समान है,चलना हमें सिखाति।

चलना तनिक सँभालकें,सावधान करि जाति।।


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा “शिव”

स्वतंत्र लेखक

१२.०६.२०२४ ०३.५८ अपराह्न(४१२)








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