।। व्यंग्य ।।
लूटपुरुष !
लूटपुरुष ने,लूटपुरुष से कहा- सम्मानित साथी सुनिए मुझे लूट पर लगाम चाहिए,
लगाम लगाएं इस पर लगाम नितांत आवश्यक है।
इस लूटाचरण,भृष्टाचरण से सरल जनता
परेशान है त्रस्त है कुपित है।
कनिष्ठ लूटपुरुष ने वरिष्ठ लूटपुरुष से कहा-हे
चतुर लंपट लूटाचरण सिद्ध आप ही सुझाएं
कि किस किस लूट पर लगाम लगाएं।
आवाज आती है हे प्रिय साथी सुनिए-कान खोलकर सुनिए मुझे सिर्फ और सिर्फ लूटमुक्त
तंत्र चाहिए,न इससे ज्यादा, न इससे कम
समझे आप,
लेकिन महोदय इतना तो बता ही दीजिए कि
हम शासनिक लूट पर या प्रशासनिक लूट पर लगाम लगाएं,
जबकि आपको पता है कि शासनिक
स्तरीय लूट में जनप्रतिनिधियों का हिस्सा कोटे के हिसाब से पूर्व निर्धारित है और प्रशासनिक
स्तरीय लूट में सरकारी कर्मचारियों का हिस्सा सुनिश्चित,अब आप ही बताइए किस लूट पर
लगाम लगाएं।
कुछ देर तक घोर सन्नाटा छाया रहा फिर वही
जानी पहचानी आवाज़, चलो ठीक है, अब
लूट मुक्त तंत्र अभियान चलाते हैं, सरकारी
अमले को काम पर लगाते हैं। अखबारों को
भरपूर विज्ञापन दीजिए शर्त रखिये खबर हमारे हिसाब की हमारे हिसाब से छपे !!
और फिर वही आदेश,वैठकें चर्चाएं
बहसें होने लगीं लुटेरों के द्वारा
लुटेरों के हिसाब से लुटेरों के लिए !!
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
०२.०९.२०२४ ११.०० अपराह्न(४२४)