कुंडलियां-हिंदी है गुनखान

 

कुंडलियां

✍️हिंदी है गुनखान✍️

(०१)

संस्कृत की बेटी है हिंदी,हिंदी है वरदान।

हिंदी भाषा ग्यान निधि,हिंदी है गुनखान।।

हिंदी है गुनखान,ग्यान का दीप जलाती।

अनपढ़ को ज्ञानी करै,वह हिंदी कहलाती।।

हिंदी को कोटिशःनमन, बार बार हर बार।

हिंदी की हर ओर हो,जै जै जय जयकार।।

(०२)

हिंदी में आदेश हों, हों हिंदी में काज।

हिंदी के सम्मान में, उठै एक आवाज़।।

उठै एक आवाज़, राष्ट्र भाषा हिंदी हो।

हिंदी कौ सम्मान करें,घर घर हिंदी हो।।

राष्ट्रीय हिंदी दिवस,सितंबर चौदह निश्चित।

माथे पर महके चंदन सी,करना हमें सु-निश्चित।।


सर्वाधिकार सुरक्षित

शिव शंकर झा “शिव”

स्वतंत्र लेखक

१४.०९.२०२४ ०७.५९पूर्वाह्न(४२६)

(✍️राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर विशेष✍️)



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