✍️।। कविता ।।✍️
हार लिखूँ क्या ?
निज मन के उद्गार लिखूँ क्या ?
प्रीति,रीति,व्यवहार लिखूँ क्या ?
टूटन, दर्द, वेदना लिख दूँ…..।
पद,कद,मद,हुंकार लिखूँ क्या ?
भूख हताशा छीना झपटी,
बल,बलात,चित्कार लिखूँ क्या ?
राजा का मन मलिन सोच पर,
कोटि कोटि धिक्कार लिखूँ क्या ?
इनकी उनकी नैन जोति पै,
उपमा,उपसंहार लिखूँ क्या ?
अत्याचार, लूट, रिश्वत पर…।
नियत,नियम की हार लिखूँ क्या ?
कलम रखी गिरवीं बहुतेरी,
चरण धूल दरबार लिखूँ क्या ?
शासक के चरणों में बैठे…।
चरण चाट चटुकार लिखूँ क्या ?
भाषा के गिरते स्तर पर,
घटिया सोच विचार लिखूँ क्या ?
लूट, खसोट, फूट, जूठन पर…।
कपट, झपट, तकरार लिखूँ क्या ?
नीति, अनीति, मान, मर्यादा,
बोली बोल सुधार लिखूँ क्या?
श्वेत धवल बगुले अनेक हैं…।
सिंह,भेड़िया,सियार लिखूँ क्या?
जातिवाद जयकार लिखूँ क्या ?
टुकड़े टुकड़े खंडित खंडित…।
अर्थविहीन विचार लिखूँ क्या ?
नेत्रहीन नृप गूँगे अनुचर,
बढ़ता भृष्टाचार लिखूँ क्या ?
राजकोष दस्यू के हाथों...।
लुटता नित,प्रकार लिखूँ क्या ?
निज मन के उद्गार लिखूँ क्या ?
प्रीति,रीति,व्यवहार लिखूँ क्या ?
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
२७.०९.२०२४ ०७.०३ पूर्वाह्न(४२८)