गज़ल-इज़हार क्या करें ?

 

गज़ल
इज़हार क्या करें ?

सवाल पर सवाल की बौझार क्या करें
अपने ही अक्स पर ख़ुद वार क्या करें

उनको ख़बर नहीं कि वे होश में भी हैं
हैं ख़ुद से ख़ुद खफ़ा इज़हार क्या करें

साहिल को थी ख़बर दरिया खिलाफ़ है
ख़ुद के खिलाफ़ होके तकरार क्या करें

उनका किया उन्हें मिले मेरा मुझे मिले
ग़र प्यार में छुपा ज़हर तो प्यार क्या करें

यूँ ही तितर-बितर सब काफ़िला हुआ
यह सोच सोच वक्त अब बेकार क्या करें

है अक्स धूल से सना और दाग़दार भी
आंखों में आँख डालकर स्वीकार क्या करें

यूँ हीं नहीं उंगलियां उस ओर सब उठें
दोनों तरफ थीं खामियां इनकार क्या करें

हैं अपनी ओर उंगलियां भी चार उठ रहीं
उठा करके एक उस तरफ सुमार क्या करें

फिर जाएं जो जुबान से ख़ुद बार बार बार
तू ही बता मिरे दिल ऐतबार क्या करें

सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
१४.११.२०२४ १०.२५ पूर्वाह्न (४३७)









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