अशआर
❤️मिरे दिल से ❤️
क्या सोचते हैं लोग फिक्र हम क्यों करें
यह भी तो कम नहीं कि वे सोचते तो हैं
खिलाफ़ होते हैं वे ही बहुत ख़ास होते हैं
हर वक़्त क़रीब होते हैं पास पास होते हैं
✍️❤️❤️✍️
जब जब कोई मिरे दिल क़ामयाब होता है
तब लोगों की नज़र में वह नायाब होता है
अगर खो गए मिरे दिल यूँ हीं ग़र भीड़ में
खोया हुआ कब क़ामयाब नायाब होता है
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सब्र कर तू जब कामयाब हो जाएगा
जो दूर दूर हैं आज उन्हें कल पास पाएगा
हारना मत रुकना मत हवा बदलेगी ज़रूर
नाराज़ ही नहीं तुझसे कोई तू जान पाएगा
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कम हो जाएं बेशक़ चाहने वाले गम नहीं
ख़्वाहिश है जो जलते हैं वे बढ़ने चाहिए
दिखाते हैं रास्ते रोज रोज ये ही मिरे दिल
मिलें हर रोज़ मुस्काते हुए मिलने चाहिए
✍️❤️❤️✍️
आखिरी वक्त जब मिरे दिल विदाई होगी
यक़ीनन उस वक्त कुछ न कुछ वाह वाही होगी
कुछ अच्छाइयां तैर आएंगी आंसुओ के साथ साथ
बुराइयों भलाइयों बातों यादों में याद आ ही होगी
✍️❤️❤️✍️
वे सोचते हैं मिरे दिल तिरे बारे में ज्यादा तुझसे
इतने महंगे बेशकीमत किसी किसी के पास होते है
अदब में ज्यादा झुकना भी ठीक नहीं
ये दुनियां है आज की रौंद के चलती है
दिलों में जगह इतनी तो बनाकर रखना
ग़र मिल जाएं राह में तो नज़रें ना झुकें
वह दौलत के ढ़ेर पर बैठा हुआ तो था
अंदर से बहुत हारा थका हुआ तो था
जश्न भी नहीं मनाना चाहिए रंज भी नहीं करना चाहिए
काफिला क्यों लुटा बस ये समझना चाहिए
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छुपाने से छुप नहीं सकता झूठ मिरे दिल
निकल आता है यक़ीनन एक ना एक दिन
दौड़ है इक जिंदगी हारे तो वे छोड़ जाएंगे
जीतोगे जब तक तब तक कितने न छोड़ जाएगें
✍️❤️❤️✍️
ना पा सका जन्म का मुहूरत ना मरने का मुहूरत
फिर भी ढूंढता रहा ता-उम्र मुहूरत पर मुहूरत
समय चलता है लगातार रुकता ही नहीं
हर वक़्त है शुभ मुहूरत आज अब शुभ मुहूरत
✍️❤️❤️✍️
सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
१८.११.२०२४ ०४.५८ अपराह्न (४३८)