✍️❤️शायरी❤️✍️

 

✍️❤️शायरी❤️✍️

जिनके चेहरे नक़ाबों की ज़द में समाए हों
फिर भी गले लगा लगा लगा मुस्कराए हों
✍️स्वतंत्र लेखक शिव✍️
होते नहीं ये सगे किसी के भी ये सच है
जो तिरी चमक देख देख देख पास आए हों
२३.११.२०२४ १२.२६अपराह्न

✍️❤️शायरी❤️✍️
दौलत से अमीर आदमी उछलता जब दिखा
सवाल उछला ज़रा पूछो कि कितना कब बिका
✍️स्वतंत्र लेखक शिव✍️
उसे होश ही नहीं कि वह कितने नशे में है
मगर वह ख़फा तो है कहे कैसे क्या क्या बिका

सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
२५.११.२०२४ ११.४५पूर्वाह्न(४३९)



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