अशआर-✍️❤️दिल से❤️✍️

 

  अशआर

✍️❤️दिल से❤️✍️

थोड़े से बुरे थोड़े से अच्छे बनो तब ठीक
यह दौर वह नहीं जो दौर छोड़ आए हो

ज्यादा सरल ज्यादा नरम किसके सामने
जो  आदमी  ही नहीं  क्या उसके सामने

हरकतों  पर  नज़र रखना सीख लो
गिरके उठना उठके चलना सीख लो

हवा  खिलाफ़ है तो कोई बात नहीं
जरूरी ये है ख़ुद संभलना सीख लो

तुम्हारी  इंसानियत तुम्हें डराने लगे
हैवानियत सामने आ मुस्कराने लगे

तब लहू में उबाल आग दम चाहिए
मज़ाल किसकी कि सर उठाने लगे

ए-दिल  डरोगे  तो मर जाओगे
कितना भागोगे किधर जाओगे

ख़बर है इंसान कम मिलते हैं
जिधर जाओगे  उधर पाओगे

खौफ़ में रहकर यारो जिंदादिल नहीं  जीते
जीते हैं शान से हरदम तिलतिल नहीं जीते 

क्या है ज़िन्दगी चंद पल की इक कहानी है
कुछ दर्द कुछ इश्क़ की मेहरबानी है

लहू में  गरमी रखो  और आंखों में पानी
कुछ पल का कारवाँ कुछ पल की ज़िंदगानी है

उसे ख़बर हो जाए कि यह भी कम नहीं
जिंदगी चंद पल  की इश्क़ हरदम नहीं

इज़्ज़त उसे दो जो इज्ज़त दार हो
उसे नहीं जो ख़ुद ही दाग़  दार हो

अदब उस इंसान का जरूर होना चाहिए
जो इंसान सा हो जो इंसान होना चाहिए

कुछ ही दिन में औकात पता चलती है
बात ही बात में हर बात पता चलती है

छुपाकर कब तक रखोगे चेहरे नक़ाब में
कदमों की दम साथ साथ पता चलती है

सर्वाधिकार सुरक्षित
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
०६.१२.२०२४ ११.१८अपराह्न (४४२)


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