✍️कविता✍️
मत हो निराश !!जीवन संघर्षों का निवास,मत हो हताश मत हो निराश।।तू बुद्धि विवेक धैर्य संयुत…चल कदम बढ़ा करि नव प्रयास,मत हो हताश मत हो निराश।।जो मिला, मिलेगा जो आगे,चलता चल तू जागे जागे।।परखना सीख अंतर का बल…शक्ती तलाश नित नित तलाश,मत हो हताश मत हो निराश।।पीड़ा को पीना सीख सीख,तू त्याग दया की भीख भीख।।स्वयं के अंदर नव प्राण फूंक…सागर तुझमें तुझमें अकाश,मत हो हताश मत हो निराश।।कंटक पथ ठोकर अवरोधक,सच में होते पथ प्रदर्शक।।दिखलाते दर्पण पग पग पग…चल चल चल ले आस आस,मत हो हताश मत हो निराश।।है नियत नियति का समय चक्र,उल्टा सीधा सम तीक्ष्ण वक्र।।करवाता परिचय सही सही…हर बार नया कुछ ख़ास ख़ास,मत हो हताश मत हो निराश।।नर जीवन मिलता एक बार,मत ठिठक दुबक मत मान हार।।स्वयं तौल परख अंतर का बल…सब कुछ नर तेरे पास पास,मत हो हताश मत हो निराश।।सर्वाधिकार सुरक्षितशिव शंकर झा “शिव”स्वतंत्र लेखक२८.०२.२०२५ ०९.२९ पूर्वाह्न (४५१)