कविता-सीमाओं की सीमा तोड़ो !!

 

कविता
सीमाओं की सीमा तोड़ो !!

निर्दोषों  पर  वार नहीं स्वीकार 
तनिक भी,
भारत  के  गद्दार  नहीं स्वीकार 
तनिक भी।।
मत  जाना  अब चूक छोड़ मत 
देना जिंदा,
झुकी हुई तलवार नहीं स्वीकार 
तनिक भी।
निर्दोषों  पर  वार नहीं स्वीकार 
तनिक भी।।

पहलगाम  दुष्कृत्य  हमें करता
शर्मिंदा,
अवलाओं की चीख करै पौरुष 
की निंदा।।
धोखे   से  प्रहार  नहीं स्वीकार
तनिक भी,
निर्दोषों  पर  वार नहीं स्वीकार 
तनिक भी।।

वक्ष  फाड़ शोणित  पीने कूँ वीर
हमारे तत्पर,
मिलै तनिक संकेत कटे अरिमुंड 
मिलें पथ पथ पर।।
खल संग शिष्टाचार नहीं स्वीकार 
तनिक भी,
निर्दोषों   पर   वार नहीं स्वीकार 
तनिक भी।।

पूछ  पूछ  कर  नाम  धर्म  कपड़े 
हटवाए,
निर्दोषों को मार कापुरुष किंचित 
नहीं लजाए।।
आधा  अब उपचार नहीं स्वीकार 
तनिक भी,
निर्दोषों   पर   वार नहीं स्वीकार 
तनिक भी।।

सीमाओं की सीमा तोड़ो दोज़ख़ 
में पहुँचा दो,
अबकी बार सुनो मोदी जी शक्ति
पूर्ण दिखला दो।।
माँ  बच्चों की चीख नहीं स्वीकार
तनिक भी,
निर्दोषों   पर   वार नहीं  स्वीकार 
तनिक भी।।
भारत   के   गद्दार   नहीं स्वीकार 
तनिक भी।।

सर्वाधिकार सुरक्षित
कवि✍️✍️
शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
२५.०४.२०२५ ०७.३९ पूर्वाह्न (४५५)


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