गज़ल-आप सा हूँ मैं

 
गज़ल
आप सा हूँ मैं

खुली किताब सा हूँ मैं
अलग नहीं आप सा हूँ मैं

ख़ामियां कुछ अच्छाइयां
मिले जुले हिसाब सा हूँ मैं

समझ पाओ या न पाओ
दरिया सा दिल आब सा हूँ मैं

मैं गलत के मुआफ़िक़ नहीं 
इक आवाज़ इंकलाब सा हूँ मैं

दिल से आवाज़ दो आऊंगा ज़रूर
तन्हा सफ़र लेकिन साथ साथ सा हूँ मैं

ग़र दिल में ऐहसास नहीं तो क्या
धुँआ धुँआ धुँआ बस ख़ाक सा हूँ मैं

गुफ़्तगू मुलाक़ातें जज़्बात और दिल
चंद पल की हस्ती मुलाक़ात सा हूँ मैं

बचाना चाहता हूँ दिल के रिश्ते
एक ख़्वाब हूँ ख़यालात सा हूँ मैं

सबक शिकायतें माफ़ियाँ इश्क़
शज़र से रूठे टूटे इक पात सा हूँ मैं

कवि-शिव शंकर झा “शिव”
स्वतंत्र लेखक
०३.०६.२०२५ ०६.३१पूर्वाह्न (४५८)
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✍️आज का विचार✍️
समय सर्वश्रेष्ठ गुरू है जो हमें पल पल घटते घटनाक्रमों से लोगों से परिचय करवाता है।
कवि-शिव शंकर झा "शिव" ०१.०६.२५
✍️Today's thought✍️
Time is the best teacher who introduces us to people with the happenings every moment.Shiv


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