💐टिकट बिक गयी!💐
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जो सच्चे जनसेवक चौकीदार हैं,
वे बोल रहे हैं,
जो पद के कद के चक्कर में हैं,
वे डोल रहे हैं,
जो चाटुकार मौकापरस्त हैं,
वे विष घोल रहे हैं,
जो जेब भरने में माहिर हैं,
वे जिंदाबाद बोल रहे हैं,
घूम रहे हैं आगे पीछे कुछ तो मिले,
मेरा भी भाग्य खिले,
अरे भैया,
छुटभैया तुमको कुछ नहीं मिलेगा,
जिसके पास दाम है,
काला पीला काम है,
थोड़ा अधिक बदनाम है,
दबंगई करना आम है,
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जो वांछित है,
जनता हेतु अवांछित है,
उसको ही टिकट मिलना तय है,
जो सर्वव्यापक महिमामण्डित हैं,
जो सर्वदा मानवता से खंडित हैं,
जो दस बीस मुकदमों से दण्डित हैं,
वही राजनीति का असली पण्डित है,
जो जहर की खेती करे वही आमंत्रित है,
जातिवाद फैलाये धर्म धर्म चिल्लाए,
वहीं सर्वदा उपयुक्त है वही अभिमंत्रित है,
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टिकट उसे ही मिलेगा ये मान लो तय है,
सभी को शुभकामनाएं सभी की जय है,
जिसके काम का जनता में भय है डर है,
वही आधुनिक कालखण्ड में आत्मनिर्भर है,
तुम अपना वायोडाटा भेजो,
या कर्तव्यनिष्ठता का डाटा भेजो,
बोलियों का बोलबाला है,
जिसकी ऊंची बोली,
टिकट उसी की हो ली,
तुम बूढे हो कर गुजर जाओगे,
लेकिन लेकिन टिकट नहीं पा पाओगे,
तुम्हें टिकट नहीं मिलेगी!
तुम्हें मिलेगा महा काम,
होगा नहीं कुछ नाम,
टिकट ले गया,
बदनाम,
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आपको तो,
निष्ठा और ईमानदारी से,
गुजारा करो चौकीदारी से,
यहां जातिवाद का गणित फिट है,
पुराना कार्यकर्ता साधना में हिट है,
आप डंडा झंडा और टाट ही बिछाइये,
अपने नेता के लिए भीड़ जुटाइये,
उसी में कुछ बचाइये,
मुस्कराइए,
गाइये,
और मेरा नेता चौकीदार,
आएगा फिर अबकी बार,
गला फाड़ चिल्लाइये,
लेकिन टिकट नहीं ले पाइए,
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शिव शंकर झा "शिव"
स्वतंत्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
Bhut badhiya likha hai bhaiya mja aagya .
जवाब देंहटाएंAise hi jari rakho apna caravan .