सफर पर हम भी हैं बेखौफ और तुम भी,
चलो दिल मिला लें हाथ मिलाने की जगह,
------
दिल नहीं चाहता तो हाथ मिलाना नहीं,
मुझे यूँ इस तरह हाथ मिलाना नागवार है,
------
समय की दहलीज पर खड़ा हूँ सिर उठा,
गरजकर बोलता रहूंगा आखिरी सांस तक,
-----
उसे खबर लगी मेरी बुलंदियों की,
वह खून जलाता रहा कीमती रात भर,
----
नकली हमदर्दी दोस्ती दिखाबे से गुरेज है,
तू क्यों अपनी सच्चाई छुपाने पर तुला है,
-----
गरीब की कंपकपाती रही ठंड से बोटी,
वह कुत्ते के मुंह से भी ले गया रोटी,
------
दौलतें ही दौलतें इक ओर नजर आयीं,
दूसरी ओर आहें बेसुमार नजर आयीं,
-----
आग से खेलते खेलते ये याद आया,
इसी में तो सुपुर्द होना है एक दिन यारो,
-----
मुलाजिम ही गर मुलजिम बन जाये,
तब अवाम फरियाद कहां लाये,
-----
जमीन छोटी पड़ गयी गुनहगारों के लिए,
सियासी जमात के चहेते यारों के लिए,
-----
आख्या पर आख्या और जांच पर जांच,
सियासीसरपरस्त पर कहां आती है आंच,
------
सन्नाटा हर ओर क्यों बरपा हुआ है,
सियासीसरपरस्ती का ये खेल लगता है,
-----
खिड़कियां,किबाड़,बक्से सब बोल रहे हैं,
परत दर परत सिस्टम की पोल खोल रहे है
-----
जमीन तो समतल एकसार दिखती है हमें,
कुछ जगह ये गिरफ्त में खौफजदा तो नहीं,
-----
जमीन अब चिल्लाने को है शायद तैयार,
अब इंसान की फितरत बदल गयी है यार,
-----
आखिरी सांस तक पनाह नहीं मांगना,
मौत भी चकमें में रहे पाला किससे पड़ा,
-----
आदमी ही आदमी हर तरफ दिखे,
कुछ लालच औऱ दौलत की खातिर बिके,
-----
इंसान शक्ल सूरत से बहुत खूबसूरत है,
काले कारनामों पर गौर करें तो बदसूरत है,
-----
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
२८.१२.२०२१ ११.५४ रात्रि
-----
Very good
जवाब देंहटाएं