💐जागो!वादे ही वादे💐
-----
अजीब सियासी वादों की बयार है यारो,
पुराने अभी आधे अधूरे हैं याद है यारो!,
------
जिंदगी ज़िद्दी रही कर बैठी गुरूर में जिद,
हमें ताज दे दे कीमत कुछ भी अदा कर!,
------
फ़ितरतें जुगलबंदी जुगाड़ सब ओर हुई,
फखत ताज की खातिर जंग पुरजोर हुई,
------
कसूर किसका था कसूरवार कौन बना,
झोलियां उनकी भरी कर्जदार कौन बना!,
------
हाथ काटकर मुफ्त बांटकर जीत चाहिए,
हकीकत "फिजा" अलग है सँभल जाइए!,
------
हाथ से हाथों को जिस्म से जुदा ना कर,
इन्हें ताकत बख्स और कमजोर ना कर!,
------
हवा आंधी से बबंडर बनने की फिराक में है
जनता जमीनी सच भांपने की ताक में है,
-----
सियासी कुचक्र में हमको यूं ही ना फंसा,
यूं गुमराह करके राह झाड़ियोंदार ना बना!,
------
ताज के वास्ते सब ओर सियासी खंजर हैं,
मासूम अवाम है इसे सरेआम दरबदर ना कर,
------
तेरे वादे इरादे संशय से तरबतर सराबोर हैं,
जम्हूरियत के वास्ते ये कदम ठीक नहीं,
------
हाथों से बरकत को दरकिनार ना कर,
हम खुद्दार हैं हमें अब और बेकदर ना कर!,
------
हम बाख़बर हैं बाहोश हैं खूब जानकार भी,
हमें बेखबर बेहोश जानकर हद पार ना कर,
------
मेहनत हक पसीने की रोटी मिलें दो जून,
हमें खैरात परोसकर जर्जर हालात ना कर!,
-------
रोजगारों को सियासी कारागार से रिहा कर,
जमीन पर दिखा कागजों में जिक्र ना कर!,
-------
हमें पता है सब सियासतदान एक छत हैं,
दिखाबे के लिए हमें और गुमराह ना कर,
------
अवाम की आवाज बुलंद होने जा रही है,
सियासी जमात की राह बंद होने जा रही है,
------
वादे करो घोषणाएं करों कुछ अमल करो,
वतन में मुफ्तखोरी बढाना मुनासिब नही!,
-----
खामियों का खामियाजा उठाओगे जरूर,
अब हमारी वारी है जान जाओगे जरूर!,
-----
शिव शंकर झा "शिव"
स्वतन्त्र लेखक
व्यंग्यकार
शायर
०९.०२.२०२२ ०९.१४ पूर्वाह्न
------
Gjb
जवाब देंहटाएं